देश की प्रमुख एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया अपना खुद का फ्लाइंग स्कूल शुरू करने जा रही है। यहां वह छात्रों को पायलट बनने की ट्रेनिंग देंगे। ऐसा करने वाली यह पहली एयरलाइन होगी। कंपनी के इस कदम को पायलटों की लगातार हड़ताल से जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही यह कंपनी देश में पायलटों की कमी को भी पूरा कर सकेगी. एयरलाइन कंपनी यह फ्लाइंग स्कूल महाराष्ट्र में शुरू करेगी। यहां वह हर साल करीब 200 छात्रों को पायलट बनने की ट्रेनिंग देंगे।
ये है कंपनी का प्लान
एयर इंडिया महाराष्ट्र के अमरावती में एक फ्लाइंग स्कूल खोलने जा रही है। यहां सालाना 180 लोगों को पायलट ट्रेनिंग दी जाएगी. कंपनी की योजना यहां प्रशिक्षण के बाद तैयार पायलटों को सीधे विमान उड़ाने की अनुमति देने की है। इसके लिए उन्हें किसी भी तरह के उड़ान अनुभव की जरूरत नहीं है. हालाँकि, यहाँ प्रवेश के लिए छात्र को कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें शैक्षिक योग्यता और शारीरिक दक्षता के साथ व्यक्तिगत साक्षात्कार भी शामिल होगा।
34 विमानों का इस्तेमाल किया जाएगा
कंपनी ट्रेनिंग के लिए 34 विमान खरीद रही है. इसमें 30 सिंगल इंजन और 4 मल्टी इंजन विमान शामिल हैं। कंपनी ये विमान अमेरिकी कंपनी पाइपर और यूरोपीय कंपनी डायमंड से खरीद रही है। इस फ्लाइंग स्कूल से निकलने वाला एक सफल पायलट न केवल एयर इंडिया बल्कि वैश्विक स्तर पर अन्य एयरलाइंस में भी अपना करियर बनाने के लिए तैयार होगा।
सरकार भी प्रोत्साहित कर रही है
इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार देश में कमर्शियल पायलट ट्रेनिंग को भी बढ़ावा दे रही है. फिलहाल 40 फीसदी से ज्यादा देश से बाहर पायलट ट्रेनिंग ले रहे हैं. जिसमें एक छात्र को 1.5 से 2 करोड़ रुपए तक का भुगतान करना पड़ता है। यदि देश में ही पायलटों के प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जाए तो प्रशिक्षण के लिए विदेश जाने वाले लोगों की संख्या कम हो जाएगी।
देश में पायलटों की मांग बढ़ेगी
इन दिनों देश में पायलटों की भारी कमी है। जब प्रशिक्षण की गुणवत्ता की बात आती है, तो देश में अभी भी कमी है। शायद यही वजह है कि पायलट बनने की चाह रखने वाले छात्र विदेश जाते रहते हैं। वहीं, आने वाले दिनों में देश में पायलटों की मांग बढ़ने वाली है। इंडिगो ने 956, एयर इंडिया ने 458 और अकासा एयरलाइंस ने 204 विमानों का ऑर्डर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में देश में पायलटों की मांग बढ़ेगी. यदि एयर इंडिया गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करेगी तो छात्रों को प्रशिक्षण के लिए देश से बाहर नहीं जाना पड़ेगा और देश में पायलटों की कमी भी दूर हो जाएगी।