भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए साल 2025 एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुआ है। दुनिया भर की आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत ने अपनी रफ्तार बरकरार रखी और अब वह जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह उपलब्धि केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती वैश्विक शक्ति और घरेलू बाजार की मजबूती का प्रतीक है।
वर्तमान वैश्विक रैंकिंग: भारत कहाँ खड़ा है?
2025 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था में शीर्ष देशों की स्थिति कुछ इस प्रकार है:
-
अमेरिका: 30.6 ट्रिलियन डॉलर के साथ पहले स्थान पर।
-
चीन: 19.4 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर।
-
जर्मनी: लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर।
-
भारत: 4.18 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ चौथे स्थान पर।
-
जापान: भारत से पिछड़कर अब पांचवें स्थान पर आ गया है।
इसके बाद ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, कनाडा और ब्राजील जैसे देश टॉप-10 की सूची को पूरा करते हैं।
तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने का सफर
विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का मानना है कि भारत का तीसरे नंबर पर पहुँचना अब केवल समय की बात है। आईएमएफ (IMF) और एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) जैसी संस्थाओं के पूर्वानुमानों के अनुसार:
-
2027-28 तक लक्ष्य: भारत जिस गति से विकास कर रहा है, उम्मीद है कि वह 2027 या 2028 तक जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
-
7.3 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य: एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक, 2030-31 तक भारत की जीडीपी 7.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच सकती है।
-
दीर्घकालिक भविष्यवाणी: पीडब्ल्यूसी (PwC) की रिपोर्ट तो और भी उत्साहजनक है, जिसमें कहा गया है कि 2050 तक भारत चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जबकि अमेरिका तीसरे स्थान पर खिसक जाएगा।
पड़ोसी देशों की स्थिति और पाकिस्तान कहाँ है?
भारत की इस छलांग के बीच जब हम पड़ोसियों की बात करते हैं, तो अंतर काफी स्पष्ट नजर आता है। पाकिस्तान जैसा पड़ोसी देश वर्तमान में गंभीर आर्थिक संकट, उच्च मुद्रास्फीति और कर्ज के जाल में फंसा हुआ है। वह दुनिया की टॉप-10 या टॉप-20 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में कहीं भी नजर नहीं आता। दक्षिण एशिया में भारत इकलौता ऐसा देश है जो वैश्विक आर्थिक इंजन के रूप में उभर रहा है।
भारत की मजबूती के प्रमुख कारण
भारत की इस प्रगति के पीछे कई बड़े कारण हैं:
-
युवा कार्यबल: भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी है, जो उपभोग और उत्पादन दोनों को गति देती है।
-
डिजिटल बुनियादी ढांचा: यूपीआई (UPI) और डिजिटल इंडिया ने व्यापार करने के तरीके को बदल दिया है।
-
मैन्युफैक्चरिंग हब: 'मेक इन इंडिया' और पीएलआई (PLI) स्कीम के जरिए भारत ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बन रहा है।