मुंबई, 01 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली कोर्ट ने ट्रेनी IAS अफसर रही पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि UPSC परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले बाकी कैंडिडेट्स की भी जांच की जाए। साथ ही अगर UPSC के किसी कर्मचारी ने पूजा की मदद की हो, तो उसकी भी जांच हो। पूजा खेडकर पर उम्र, माता-पिता की गलत जानकारी, पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने का आरोप था। UPSC ने दस्तावेजों की जांच के बाद पूजा को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया था। इसके बाद UPSC ने उनके खिलाफ एफआईआर कराई थी। धोखाधड़ी और जालसाजी के इस केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए पूजा ने अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। कोर्ट में UPSC के वकील ने कहा था कि उन्होंने सिस्टम को धोखा दिया है। वह एक साधन संपन्न व्यक्ति हैं और उनके द्वारा कानून का दुरुपयोग करने की संभावना बनी हुई है। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
आपको बता दें, UPSC ने बीते दिन पूजा का सिलेक्शन रद्द कर दिया था। साथ ही भविष्य में UPSC का कोई एग्जाम देने पर भी रोक लगा दी थी। पूजा को एग्जाम में 2022 में 841वीं रैंक मिली थी। वे 2023 बैच की ट्रेनी IAS थीं और जून 2024 से ट्रेनिंग पर थीं। तो वहीं, UPSC ने बताया था कि पहचान बदलकर तय सीमा से ज्यादा बार सिविल सर्विसेस का एग्जाम देने के लिए 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि पूजा को 25 जुलाई तक अपना जवाब देना था, लेकिन उन्होंने अपने जवाब के लिए जरूरी दस्तावेज जुटाने के लिए 4 अगस्त तक का समय मांगा। आयोग ने कहा- उन्हें फिर 30 जुलाई को दोपहर 3:30 बजे तक समय दिया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। 15,000 डेटा की जांच की, यह पता नहीं चला कि पूजा ने कितने अटेम्प्ट्स दिए: खेडकर के केस के चलते UPSC ने 2009 से 2023 तक 15,000 से अधिक रिकमेंड किए गए उम्मीदवारों के डेटा की जांच की। इसमें पाया गया कि उनके अलावा किसी अन्य उम्मीदवार ने CSE नियमों के तहत तय अटेम्प्ट से ज्यादा अटेम्प्ट नहीं दिए थे। मिस पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर का मामला एकमात्र था। उन्होंने कई बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदलकर परीक्षा दी थी, इसलिए UPSC की स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) उनके अटेम्प्ट्स की संख्या का पता नहीं लगा सकी। UPSC अपनी SOP को और मजबूत करने की प्रक्रिया में है ताकि भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों।