मुंबई, 06 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से पीड़ित एक शख्स को 50 हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। दिल्ली पुलिस ने उसे बिना वजह आधे घंटे तक हिरासत में रखा था। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि मुआवजा बदरपुर थाने के उन दोनों सब इंस्पेक्टरों की सैलरी से वसूला जाए, जो पीड़ित व्यक्ति को लाए थे और लॉकअप में रखा था। जस्टिस प्रसाद ने कहा कि इसका मकसद अधिकारियों को एक सार्थक संदेश देना है कि पुलिस अधिकारी खुद कानून नहीं बन सकते। दरअसल, पिछले साल सितंबर में दिल्ली के बदरपुर पुलिस स्टेशन में एक शिकायत मिली थी, जिसमें कहा गया था कि महिला को सब्जी वाले ने चाकू मार दिया है। शिकायत मिलने पर सब इंस्पेक्टर मौके पर पहुंचा। वहां उसे एक महिला और याचिकाकर्ता मिले। पुलिस उसे थाने ले आई और रात 11:01 बजे हवालात में डाल दिया। इसके बाद रात 11:24 बजे रिहा कर दिया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी गिरफ्तारी, FIR के हिरासत में लिया गया था। जिसके बाद पीड़ित शख्स ने याचिका लगाई थी। उसे पिछले साल सितंबर में दिल्ली पुलिस ने अवैध रूप से लॉकअप में कैद किया था।
कोर्ट ने कहा पीड़ित को लॉकअप में जितना समय गुजारना पड़ा, वह उसका उत्पीड़न है। उन पुलिस अधिकारियों को दोषमुक्त नहीं कर सकते, जिन्होंने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना पीड़ित को लॉकअप में डाला। इस मामले में सिर्फ पुलिस अधिकारियों की आलोचना करने से ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी। आलोचना ऐसी होनी चाहिए, जिससे बाकी अधिकारी भविष्य में ऐसी हरकतें करने से बचें। साथ ही, जस्टिस प्रसाद ने कहा कि यह अदालत इस बात से बहुत परेशान है कि याचिकाकर्ता को गिरफ्तार भी नहीं किया गया। उसे बस मौके से उठाकर पुलिस स्टेशन लाया गया। बिना किसी कारण लॉकअप में डाल दिया गया। जिस तरह से पुलिस अधिकारियों ने एक नागरिक के संवैधानिक और मौलिक अधिकारों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमानी की है, वह भयावह है। अदालत इस बात से परेशान है कि पुलिस अधिकारी नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे है, जैसे वे कानून से ऊपर हों।