सुप्रीम कोर्ट सरकारी अफसरों की कोर्ट में पेशी को लेकर दे सकता है गाइडलाइन, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Monday, August 21, 2023

मुंबई, 21 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट सरकारी अफसरों की कोर्ट में पेशी को लेकर गाइडलाइन दे सकता है। 16 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुझाव दिया था कि असाधारण मामलों में ही किसी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कोर्ट बुलाया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वो इस बात पर भी विचार करेंगे कि कोर्ट में पेश होने के दौरान किसी अधिकारी की ड्रेस कैसी होनी चाहिए। कोर्ट ने ये कमेंट इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए किया। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार की ये मंशा कभी नहीं रही। हम बस ये कहना चाहते हैं कि मुख्य सचिव जैसे बड़े अफसरों को तलब करने की जरूरत नहीं है। इससे दूसरे सब काम रुक जाते हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि SOP के कुछ हिस्से ऐसे हैं, जिनमें सरकार हमें बता रही है कि रिव्यू कैसे किया जाना चाहिए। हम इस मुद्दे पर खुद गाइडलाइन तैयार कर सकते हैं।

केंद्र सरकार ने कोर्ट में अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिए थे। उसमे कहा गया था कि सरकारी मामलों से संबंधित कार्यवाही में सरकारी अधिकारियों को केवल असाधारण मामलों में ही बुलाया जाना चाहिए, ना कि नियमित रूप से। अगर किसी केस में संबंधित सरकारी अधिकारी के पास अदालत में उपस्थित होने के अलावा और कोई विकल्प ना हो तो ऐसी स्थिति में उसे पहले से पर्याप्त समय देते हुए नोटिस दिया जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट को उन्हें पहले विकल्प के रूप में वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के जरिए पेश होने की छूट देनी चाहिए। इसके लिए वीसी का लिंक तय सुनवाई से कम से कम एक दिन पहले संबंधित अधिकारी को दिए गए मोबाइल नंबर या ई-मेल ID पर SMS और ई-मेल या वॉट्सऐप द्वारा भेजा जा सकता है। SOP में कहा गया है कि कोर्ट में पेश होने वाले सरकारी अधिकारी की ड्रेस और एजुकेशन क्वालिफिकेशन पर कमेंट करने से बचना चाहिए। सरकारी अधिकारी कोर्ट के अधिकारी नहीं हैं और उनके कैज़ुअल ड्रेस में कोर्ट में पेश होने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश का पालन ना करने पर उत्तर प्रदेश के दो IAS अधिकारी- शाहिद मंजर अब्बास रिजवी और सरयू प्रसाद मिश्रा को हिरासत में लेने का निर्देश दिया था। 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने सरकारी अफसरों की पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में SOP दाखिल कर विचार के लिए कुछ सुझाव दिए थे। कोर्ट ने SOP को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है।


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