मुंबई, 3 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा अभी भी जारी है। बिष्णुपुर जिले में सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई। स्थिति को संभालने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े। जिसमें 20 महिलाएं घायल हो गईं। दरअसल, बिष्णुपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने बफर जोन को पार करने का प्रयास किया। असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इस पर महिलाएं सुरक्षाबलों पर पथराव करने लगीं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाबलों ने हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े। झड़प के बाद इंफाल और पश्चिमी इंफाल में कर्फ्यू में दी गई ढील वापस ले ली गई है।
दरअसल, बीती रात एक अफवाह फैली थी कि कुछ कुकी लोगों के शव दफनाने के लिए बाहर ले जाए जा सकते हैं। इसके बाद इंफाल में रीजनल आयुर्विज्ञान संस्थान और जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान दो अस्पतालों के पास भीड़ जमा हो गई। हालांकि पुलिस भीड़ को शांत करने में कामयाब रही। रात 10 बजे तक कोई घटना नहीं हुई। इंफाल के इन दोनों अस्पतालों की मॉर्च्युरी में ही इंफाल घाटी में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के कई शव रखे हुए हैं। किसी भी हिंसा को रोकने के लिए यहां असम राइफल्स, रैपिड एक्शन फोर्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं। साथ ही इंफाल में अपुम्बा तेन्बांग लुप, पात्सोई विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं ने 26 दिन बाद 2 किशोरों का पता नहीं लगा पाने के विरोध में प्रदर्शन किया। 3 मई को हिंसा फैलने के बाद से राज्य में दो पत्रकारों और दो किशोरों समेत 27 लोग लापता हैं। मोरेह से सुरक्षा बल हटाने को लेकर गुरुवार को 12 घंटे का कंग्पोक्पी बंद रहेगा।
आपको बात दें, 3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (SC) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला गया था। जिसके बाद वहां जातीय संघर्ष भड़क उठा। हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। कई लोगों के शव इंफाल और चुराचांदपुर के अस्पतालों की मॉर्च्युरी में रखे हैं। चुराचांदपुर के लम्का शहर के तुईबोंग शांति मैदान में कुकी समुदाय के 35 लोगों के शवों को दफनाया गया। अभी तक 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।