नागपुर न्यूज डेस्क: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने गोंदिया जिले की मस्जिद गौसिया द्वारा दायर उस याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसमें मस्जिद परिसर में दोबारा लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति मांगी गई थी। अदालत ने स्पष्ट कहा कि धार्मिक प्रार्थना इस तरह नहीं हो सकती जिससे दूसरों की शांति और स्वास्थ्य प्रभावित हो। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि लाउडस्पीकर किसी भी धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
याचिकाकर्ता कमेटी ने दावा किया था कि लाउडस्पीकर उपयोग करना धार्मिक अधिकार है, लेकिन अदालत ने पूछा कि कौन-सा धार्मिक ग्रंथ यह सिद्ध करता है कि प्रार्थना केवल तेज आवाज में ही मानी जाती है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपनी आवाज़ दूसरों पर थोपने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। हर इंसान को यह अधिकार है कि वह क्या सुनना चाहता है और क्या नहीं।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि नॉइस पॉल्यूशन रूल्स 2000 के तहत तेज़ ध्वनि से मानसिक तनाव, नींद में दिक्कत और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ती हैं। इसलिए धार्मिक कार्यक्रम इस तरह नहीं होने चाहिए जो आसपास रहने वालों को परेशान कर दें। कोर्ट के अनुसार, शांत वातावरण में रहना दूसरों का भी संवैधानिक अधिकार है।
अदालत ने याचिकाकर्ता से सबूत मांगा था कि लाउडस्पीकर धार्मिक रीति का ज़रूरी हिस्सा है, लेकिन प्रमाण न होने पर कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने दो टूक कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि दूसरे लोगों पर शोर लाद दिया जाए।