नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में सरकार अंगदान जागरूकता पर करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन राज्य के किसी भी सरकारी अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं थी। हालांकि, अब नागपुर के एम्स अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर की योजना पर काम चल रहा है। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एम्स अस्पताल का निरीक्षण किया, और इसे जल्द ही मंजूरी मिलने की संभावना जताई गई है। इस सेंटर का उद्घाटन मध्य भारत का पहला सरकारी लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर होगा, जिससे लाखों मरीजों को लाभ होगा।
लिवर फेल होने के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जो अत्यधिक शराब सेवन, हेपेटाइटिस बी और सी, अनियंत्रित मधुमेह, रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और फैटी लिवर जैसी बीमारियों के कारण होते हैं। वर्तमान में नागपुर में 209 मरीज लिवर ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। नागपुर में एम्स प्रशासन ने इसे शुरू करने के लिए पहल की है, और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इसे मंजूरी मिल जाएगी।
एम्स नागपुर में लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर स्थापित करने के लिए एक सर्जरी वार्ड और गहन चिकित्सा इकाई (ICU) बनाई गई है, लेकिन उपकरणों की खरीद और विशेषज्ञ सर्जन की कमी जैसी समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं। यदि इन समस्याओं का समाधान हो जाता है, तो यह सेंटर गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा, क्योंकि वर्तमान में निजी अस्पतालों में लिवर ट्रांसप्लांट की लागत काफी अधिक है।
नागपुर में सरकारी और निजी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या में भी वृद्धि हुई है। मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और एम्स में कुल 100 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट किए गए हैं। यह बताता है कि अंगदान के लिए जागरूकता बढ़ रही है और मरीजों को समय पर अंग मिल रहे हैं। अंग प्रत्यारोपण के मामलों में तेजी आने से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव हो रहा है।
नागपुर में जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है, जिसने अंगदान आंदोलन को गति दी है। इसके कारण, अंगदान के लिए आवश्यक जानकारी और समन्वय में सुधार हुआ है, और अब लोग अंगदान के प्रति जागरूक हो रहे हैं। एम्स में लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर का उद्घाटन गरीबों को कम लागत में उपचार देने का एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में एक अहम बदलाव साबित होगा।