नागपुर न्यूज डेस्क: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या वृद्धि में गिरावट को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने रविवार को कहा कि यदि किसी समाज की जनसंख्या वृद्धि दर 2.10 से नीचे चली जाती है, तो वह समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा। भागवत के अनुसार, हर महिला के जीवनकाल में औसतन तीन बच्चों का जन्म होना चाहिए, क्योंकि यही जनसंख्या वृद्धि के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या विज्ञान भी यही कहता है और अगर जनसंख्या घटती है तो कई भाषाएं और संस्कृतियां विलुप्त हो जाती हैं।
भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि समाज की जनसंख्या वृद्धि दर कम से कम 3 होनी चाहिए। उनके अनुसार, जब किसी समाज की प्रजनन दर 2.1 से नीचे चली जाती है, तो उस समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है। NFHS के 2021 में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) 2.20 से घटकर 2 हो गई है, और गर्भनिरोधक उपयोग की दर 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है।
इसके बाद महाराष्ट्र एनसीपी (SP) के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने से देश को और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। पाटिल ने चेतावनी दी कि अगर जनसंख्या वृद्धि दर बढ़ती है, तो पानी, अनाज, और अन्य संसाधनों की कमी हो सकती है, जिससे कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने मोहन भागवत से सवाल किया कि वे यह अपील क्यों कर रहे हैं और इसके पीछे क्या कारण हो सकता है?
कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर ने भी मोहन भागवत के बयान की आलोचना की। उन्होंने इसे मानसिक दिवालियापन और समाज को विभाजित करने का प्रयास बताया। अनवर के अनुसार, मोहन भागवत का यह बयान समाज की एकता को तोड़ने के उद्देश्य से दिया गया है, और यह देश को पीछे ले जाने की कोशिश का हिस्सा है।