नागपुर न्यूज डेस्क: जहां मंकीपॉक्स बीमारी से लोगों में चिंता बढ़ रही है, वहीं नागपुर के ‘एम्स’ अस्पताल में मंकीपॉक्स की जांच की सुविधा शुरू कर दी गई है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (DRH) से मंजूरी मिलने के बाद, यह प्रयोगशाला अब एक अधिकृत मंकीपॉक्स परीक्षण केंद्र बन गई है। मंकीपॉक्स एक गंभीर वायरल बीमारी है जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानी जाती है।
मंकीपॉक्स के फैलाव को रोकने के लिए तुरंत जांच, निदान, और इलाज आवश्यक है। बीमारी का शीघ्र पता लगने से मरीज के दूसरों से संपर्क में आने से पहले बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। एम्स में मंकीपॉक्स की जांच की सुविधा के चलते मरीजों को उचित समय पर इलाज मिल सकेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए मंकीपॉक्स स्ट्रेन के खतरे को देखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी है। इस वर्ष 15,600 मंकीपॉक्स मामले सामने आए हैं, जिनमें से 537 मरीजों की मौत हो गई है। यह बीमारी अब कई अफ्रीकी देशों में भी फैल गई है, जहां पहले इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था।
मार्च 2024 में भारत के केरल में मंकीपॉक्स के एक मरीज की मौत हो गई और कुल 30 मामले सामने आए। इसके मद्देनजर, स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में मंकीपॉक्स के लिए गाइडलाइन जारी की है। सरकारी अस्पतालों में संदिग्ध मरीजों के लिए बेड भी आरक्षित कर दिए गए हैं। इस प्रयोगशाला के साथ, देशभर में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों का परीक्षण करने के लिए नामित प्रयोगशालाओं की संख्या अब 35 हो गई है। नागपुर में मंकीपॉक्स प्रयोगशाला की मंजूरी में एम्स प्रयोगशाला प्रमुख डॉ. मीना मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।