नागपुर न्यूज डेस्क: करीब डेढ़ साल पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था, लेकिन नागपुर में एक बड़ा रैकेट सामने आया है जिसमें मजदूरों की मदद से ये नोट बदलवाए जा रहे थे। यह रैकेट दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात से जुड़ा हुआ है, और इसमें बड़े पैमाने पर 2 हजार रुपये के नोटों का आदान-प्रदान किया जा रहा था।
सदर पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें नागपुर के नंदलाल मोर्या, रोहित बावने, किशोर बोहरिया और जबलपुर के व्यापारी अनिल कुमार जैन शामिल हैं। अनिल कुमार जैन को इस रैकेट का मुख्य सरगना माना जा रहा है, जिसने अब तक करोड़ों रुपये के 2000 रुपये के नोटों का लेन-देन किया है।
जांच के दौरान यह सामने आया कि अनिल कुमार जैन दिल्ली और उत्तर प्रदेश से 2000 रुपये के नोट लाता था। इसके बाद उसने नागपुर के नंदलाल, रोहित और किशोर को इस काम में शामिल किया। ये लोग मजदूरों को 300 रुपये की मजदूरी देकर नोट बदलवाने के लिए उन्हें आरबीआई भेजते थे। खासकर झोपड़पट्टियों में जाकर महिलाओं को इस काम के लिए नियुक्त किया जाता था।
2000 रुपये के नोटों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया रिजर्व बैंक के विशेष काउंटरों के माध्यम से की जाती थी। हालांकि, इन नोटों को अब केवल तीन जगहों— नागपुर, बेलापुर और मुंबई— में बदला जा सकता है। लोग अपना आधार कार्ड और पता देकर एक सीमित राशि तक नोट बदलवा सकते हैं, जिसका निर्धारित सीमा 20,000 रुपये है।
यह रैकेट भी अनिल कुमार जैन की पहल पर चल रहा था, जिसने छोटे व्यापारी से 2000 रुपये के नोट खरीदने और उसे बदलवाने का काम किया। जैन व्यापारी से 1 लाख रुपये पर 20,000 रुपये कमीशन लेता था। साथ ही, वह अपने स्थानीय एजेंटों को मजदूरों को नोट बदलवाने के लिए 1,000 रुपये प्रति व्यक्ति देता था, जिससे उन्हें 75,000 रुपये तक का फायदा मिलता था।
पुलिस ने इस मामले में चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया है और आगे की जांच जारी है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस रैकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस काम कर रही है।