पाकिस्तान में एक बार फिर बलूचिस्तान से एक बड़ा और चौंकाने वाला दावा सामने आया है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने शुक्रवार को बयान जारी कर दावा किया है कि उसने बलूचिस्तान के कलात डिवीजन स्थित सुराब शहर पर पूर्ण कब्जा कर लिया है। यह घटना न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा प्रणाली की पोल खोलती है, बल्कि बलूच अलगाववाद की तेज़ होती आग की ओर भी इशारा करती है।
बीएलए का दावा: सुराब पर ‘पूरा नियंत्रण’
बीएलए के प्रवक्ता जीयंद बलूच ने कहा कि उनके लड़ाकों ने सुराब पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया है। उनके अनुसार, बीएलए के लड़ाकों ने वहां तैनात सुरक्षा बलों को निहत्था कर दिया है और पुलिस स्टेशन, लेवी स्टेशन, एक बैंक और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों पर कब्जा कर लिया है।
इसके अलावा, प्रवक्ता ने कहा कि जल्द ही इस पूरी कार्रवाई को लेकर एक आधिकारिक वीडियो या दस्तावेजी बयान भी जारी किया जाएगा, जिससे उनके दावे की पुष्टि की जा सके।
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान: शहर में अराजकता
बलूचिस्तान पर नजर रखने वाले स्वतंत्र मीडिया पोर्टल द बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सैकड़ों हथियारबंद बीएलए लड़ाकों ने अचानक सुराब शहर में धावा बोला। उन्होंने वहां मौजूद सरकारी दफ्तरों, पुलिस थानों और बैंकों पर कब्जा कर लिया और सुरक्षाकर्मियों के हथियार भी छीन लिए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कई सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को बंदी बना लिया गया है। इस हमले के दौरान कई सरकारी वाहनों को भी जला दिया गया, जिससे पूरे क्षेत्र में भय का माहौल बन गया है।
रणनीतिक सड़कों पर कब्जा
हमले के बाद बीएलए ने क्वेटा-कराची नेशनल हाईवे और सुराब-गिदर रोड जैसे रणनीतिक रूप से अहम मार्गों पर अपनी चेकपोस्ट्स (चौकियाँ) स्थापित कर दी हैं। इससे न केवल आम जनता का संपर्क देश के अन्य भागों से कट गया है, बल्कि पूरे बलूचिस्तान क्षेत्र में यातायात और संचार प्रणाली ठप हो गई है।
इससे यह भी साफ होता है कि यह हमला कोई तात्कालिक योजना नहीं बल्कि लंबे समय से तैयार की गई एक सुनियोजित सैन्य कार्रवाई का परिणाम है।
पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका
यह दावा पाकिस्तान की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। सुराब कोई छोटा या अनजान क्षेत्र नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सैन्य दृष्टि से अहम शहर है। वहां इस प्रकार का हमला होना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों की नाकामी को उजागर करता है।
बलूचिस्तान में लंबे समय से चल रहा अलगाववादी आंदोलन अब सशस्त्र विद्रोह के रूप में बार-बार सामने आ रहा है। बीएलए, बीआरए, बीएनएम जैसे संगठनों की गतिविधियाँ पिछले कुछ वर्षों में तेज़ हुई हैं और अब वे खुल्लमखुल्ला सरकारी संस्थानों को निशाना बना रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल इस पर पाकिस्तान सरकार की कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। न ही सेना या आंतरिक मामलों के मंत्रालय की ओर से इस पर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई है। लेकिन यदि बीएलए का यह दावा सही साबित होता है, तो यह न केवल पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के लिए चुनौती होगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पाकिस्तान की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र, अमनेस्टी इंटरनेशनल और मानवाधिकार संगठनों के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है, जो पहले से ही बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर पाकिस्तान सरकार की आलोचना करते रहे हैं।
निष्कर्ष
बलूच लिबरेशन आर्मी का सुराब पर कब्जे का दावा पाकिस्तान के लिए एक सुरक्षा संकट से कम नहीं है। यह हमला न केवल बलूच विद्रोहियों की ताकत का प्रदर्शन है, बल्कि यह संकेत भी है कि बलूचिस्तान में हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। अगर पाकिस्तान सरकार और सेना जल्द ही स्थिति को नियंत्रण में नहीं लाते, तो यह अलगाववादी आंदोलन एक बड़े गृहयुद्ध का रूप भी ले सकता है, जिसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय सीमाओं तक पहुंच सकती ह