जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने जिस तेज़ी से जवाबी कार्रवाई की, उससे पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर तबाह किया गया। इस ऑपरेशन की सफलता से पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार की नींद उड़ी हुई है और इसका असर अब उसके आर्थिक फैसलों में भी साफ नजर आने लगा है।
ऑपरेशन सिंदूर से कांपा पाकिस्तान
भारत की यह जवाबी कार्रवाई सीमित सैन्य अभियान नहीं बल्कि रणनीतिक सटीकता का प्रतीक थी। भारतीय सेना ने सीमापार जाकर जिन आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, वे लंबे समय से ISI के संरक्षण में भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। पहलगाम हमले के बाद जिस तरह भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने त्वरित खुफिया जानकारी जुटाकर ठोस एक्शन लिया, वह पाकिस्तान के लिए चेतावनी से कम नहीं था।
रक्षा बजट में बेतहाशा बढ़ोतरी
भारत की इस कार्रवाही से बौखलाई पाकिस्तान सरकार ने अब अपने रक्षा बजट में जबरदस्त बढ़ोतरी कर दी है। शहबाज शरीफ सरकार ने 11 जून को संसद में पेश किए गए 2025-26 के बजट में रक्षा मद में 18-20% की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इसका मतलब है कि अब पाकिस्तान अपने रक्षा क्षेत्र पर 2.55 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (लगभग 9 अरब डॉलर) खर्च करेगा।
यह बजट ऐसे समय में लाया गया है जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा रही है और देश अंतरराष्ट्रीय कर्ज के बोझ से दबा हुआ है।
सामाजिक खर्च में की गई भारी कटौती
पाकिस्तान सरकार की प्राथमिकताएं अब खुलकर सामने आ गई हैं। एक ओर वह रक्षा बजट में भारी इजाफा कर रही है, दूसरी ओर शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों के बजट में बड़ी कटौती कर दी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रक्षा बजट के लिए जो 2.55 ट्रिलियन रुपये जुटाए गए हैं, उसमें से एक बड़ा हिस्सा सामाजिक योजनाओं से ही हटाया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की नीति जनता की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी करती है और दीर्घकाल में पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा सकती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर संकट
वर्तमान पाकिस्तान सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के बजट को सेना के सामने नगण्य कर दिया है। हाल ही में जारी किए गए इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 के अनुसार पाकिस्तान का कुल कर्ज 76,000 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गया है। इसके बावजूद सरकार ने बचत करने के लिए इन सामाजिक मदों में कटौती करना बेहतर समझा, जिससे आम नागरिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
शिक्षाविदों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस पर गंभीर चिंता जताई है और कहा है कि इससे पाकिस्तान की आने वाली पीढ़ियों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
कर्ज लेकर रक्षा बजट बढ़ाना
पाकिस्तान की सरकार ने यह बजट ऐसे समय में पेश किया है जब देश पहले से ही IMF और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भारी कर्ज ले चुका है। कर्ज की शर्तों के अनुसार पाकिस्तान को खर्चों में कटौती करनी चाहिए थी, लेकिन इसके उलट उसने रक्षा बजट में इजाफा कर यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के प्रति उसकी असुरक्षा की भावना उसे आर्थिक अंधगुफा की ओर ले जा रही है।
भारत का स्पष्ट संदेश
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चाहे आतंकी हमला कहीं भी हो, भारत अब आतंक के गढ़ में घुसकर जवाब देगा। इससे पाकिस्तान के रणनीतिक गलियारों में डर का माहौल है और यही कारण है कि उन्होंने तुरंत प्रतिक्रिया स्वरूप अपने रक्षा बजट को बढ़ाने का कदम उठाया।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर ने केवल पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाया, बल्कि उसकी रणनीतिक सोच को भी झकझोर दिया है। भारत ने जिस संकल्प और साहस के साथ इस अभियान को अंजाम दिया, उसने पूरे विश्व को यह संदेश दे दिया कि भारत अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि सटीक कार्रवाई से जवाब देगा।