Film Review - सूर्यवंशी



लगभग डेढ़ सालों के इंतजार के बाद रोहित शेट्टी की सूर्यवंशी सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। कहना गलत नहीं होगा कि ये फिल्म बड़ी स्क्रीन के लिए बनी है। अभिनेताओं की सीटीमार एंट्री और सिनेमेटोग्राफी बड़े पर्दे पर कमाल करती है। अगर आप हाई वोल्टेज एक्शन फिल्मों के प्रशंसक हैं, तो इसे देख सकते हैं।

Posted On:Friday, December 10, 2021

 
कोरोना काल में पूरे 19 महीनों तक अधर में लटकी निर्माता-निर्देशक रोहित शेट्टी की फिल्म 'सूर्यवंशी' आखिरकार सिनेमाघर में आ गई है। थिएटर तक फिल्म को लाने के लिए निर्माता-निर्देशक रोहित शेट्टी ने तकरीबन 2 साल तक का इंतजार किया और फिल्म देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि थिएट्रिकल रिलीज के लिए उनकी इतनी लंबी प्रतीक्षा का फैसला सही था। टिपिकल रोहित शेट्टी के अंदाज वाली इस फिल्म में उड़ती गाड़ियों, हैरअंगेज ऐक्शन सीन्स, फ्रंट बेंचर्स को पसंद आने वाली कॉमिडी और पुलिस अफसर सूर्यवंशी का मतलब अक्षय कुमार के साथ सिंघम उर्फ़ अजय देवगन और सिंबा उर्फ़ रणवीर सिंह के कारनामों को देखने का असली मजा ओटीटी पर मिलना संभव नहीं था। सिंघम और सिंबा की सुपर सफलता के बाद रोहित शेट्टी का पुलिस प्रेम और बढ़ गया, जिसके नतीजे में वे एंटी टेररिजम स्क्वॉड के चीफ सूर्यवंशी के रूप में अक्षय कुमार को लाए। दर्शकों को विजुअल ट्रीट से मालामाल करने के लिए उन्होंने इस फिल्म में सूर्यवंशी के साथ सिंघम और सिंबा को भी लाए हैं।

कहानी: फिल्म कहानी रोहित शेट्टी की ही है, जिसे उन्होंने रियलिस्टिक टच देने के लिए 1993 के बॉम ब्लास्ट और पाकिस्तान से जोड़ दिया है। सूर्यवंशी एक ऐसा पुलिस वाला है, जो अपने फर्ज को अपनी डॉक्टर पत्नी रिया (कटरीना कैफ) और बेटे से भी आगे रखता है। वह मुंबई बम ब्लास्ट में अपने माता-पिता को खो चुका है और यही वजह है कि उसे इस बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड बिलाल (कुमुद मिश्रा) और ओमर हफीज (जैकी श्रॉफ) की तलाश है, जो मुंबई में अमानवीय कांड करके देश से भाग गए थे। इसी बीच सूर्यवंशी को कुछ ऐसे सूत्र हाथ लगते हैं, जिससे इस बात का खुलासा होता है कि मुंबई बम ब्लास्ट में असल में 1000 हजार किलो आरडीएक्स लाया गया था, जिसमें से महज 400 किलो का इस्तेमाल करके तबाही मचाई गई थी जबकि 600 किलो आरडीएक्स मुंबई में ही कहीं छिपा कर रखा है। तहकीकात के दौरान सूर्यवंशी यह पता लगाने में भी कामयाब हो जाता है कि पिछले 27 सालों से आतंकी संगठन लश्कर ने अपने जिन स्लीपर सेल को देश के विभिन्न प्रदेशों में जाली नामों से बसा कर रखा है, उन्हें हरकत में लाकर वे मुंबई के 7 मुख्य और भीड़भाड़ वाले इलाकों में एक बार फिर ऐसा बम ब्लास्ट करने का प्लान बना रहे हैं, जिससे मुंबई के चीथड़े उड़ जाएं। मुंबई को आतंकी हमले से सूर्यवंशी सिंघम और सिंबा की मदद से कैसे बचाता है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

ऐक्टिंग: सूर्यवंशी के रूप में अक्षय कुमार बीस साबित होते हैं। उनकी हीरोइक एंट्री के बाद से लेकर क्लाईमैक्स के थर्रा देने वाले ऐक्शन सीन्स तक अक्षय वह सब डिलिवर करते हैं, जो उनके फैंस की चाहत है। उनकी कॉमिक टाइमिंग जहां लोगों को हंसाती है, वहीं उनकी फिटनेस मारधाड़ वाले दृश्यों में उन्हें सुपर कॉप साबित करती है। कैटरीना अपने रोल में जमी हैं। आइकॉनिक सॉन्ग, 'टिप टिप बरसा पानी' में वह काफी सेक्सी और ग्लैमरस लगी हैं। सेकंड हाफ में जब रणवीर सिंह और अजय देवगन की एंट्री होती है, तो फिल्म में करंट-सा आ जाता है। सुपर स्टार्स की ये तिकड़ी ऐक्शन के साथ-साथ कॉमिडी को भी मजेदार बना जाती है। रोहित शेट्टी की कास्टिंग दमदार है, जिसमें जैकी श्रॉफ, कुमुद मिश्रा, गुलशन ग्रोवर,अभिमन्यु सिंह, निकेतन धीर जैसे एक्टर्स छोटी-छोटी भूमिकाओं में प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहते हैं।

रिव्यू: निर्देशक रोहित शेट्टी की यह फिल्म पूरी तरह से मसाला एंटरटेनर है। रोहित ने उसे मासेज को ध्यान में रख कर बनाया है। फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा लंबा लगता है, मगर सेकंड हाफ में आप मनोरंजन के एक ऐसे राइड पर निकल पड़ते हैं, जहां हंसी, ऐक्शन, रोमांस, रोमांच सबकुछ मिलता है। लेखक-निर्देशक के रूप में रोहित ने अपनी कहानी में फसाद की जड़ पाकिस्तान और इस्लामिक टेररिज्म को बनाया है, तो दूसरी और उसे हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे के दृश्य डालकर उसे बैलेंस करने की कोशिश की है। कहानी में इस्लामी आतंकी जहां एक तरफ देश को बर्बाद करने की कसम खा चुके हैं, वहीं कई मुस्लिम कर्तव्यनिष्ठ अफसर देश के लिए जान देने को तत्पर दिखते हैं। बम ब्लास्ट के एक दृश्य में मौलानाओं द्वारा गणपति को उठाते हुए दिखाया गया है, तो दूसरी तरफ जितनी नफरत कसाब के लिए है, उतनी ही इज्जत कलाम के लिए है, जैसे डायलॉग रखे हैं। कुछ दृश्य बचकाना भी हैं, जिन्हें मनोरंजन के नाम पर खपाया गया है। ऐक्शन और चेजिंग दृश्य देखते बनते हैं, हालांकि वे हॉलिवुड फिल्मों से प्रेरित लगते हैं, मगर अपने बॉलिवुड के नायकों को उस तरह के रोंगटे खड़े कर देनेवाले दृश्यों में देखना हीरोइक फील दे जाता है। अपने कॉप हीरोज को स्पेशल बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग्ज देकर उसे यादगार बनाना रोहित की खूबी है। यहां सूर्यवंशी द्वारा लोगों के गलत नाम बुलाकर कॉमिडी पैदा की गई है। बैकग्राउंड स्कोर मजबूत है। फिल्म का क्लाइमेक्स दमदार और फील गुड वाला है। संगीत की बात की जाए, तो फिल्म में 'टिप टिप बरसा पानी' और 'छोड़ो कल की बातें' जैसे गानों को रीक्रिएट किया गया है, जो दर्शनीय बन पड़े हैं।


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