मुंबई, 21 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। देश के 26 प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने यह आधिकारिक घोषणा की है कि अब उनके ऐप और वेबसाइट्स पर किसी भी प्रकार के डार्क पैटर्न्स का उपयोग नहीं किया जा रहा है। कंपनियों ने इंटरनल और थर्ड-पार्टी ऑडिट पूरा करने के बाद CCPA (Central Consumer Protection Authority) को अपना सेल्फ-डिक्लेरेशन लेटर सौंपा है। इनमें फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, स्विगी, जोमेटो, बिगबास्केट और जियोमार्ट जैसे बड़े प्लेटफॉर्म शामिल हैं। इन कंपनियों ने अपने-अपने पोर्टल्स पर यह डिक्लेरेशन सार्वजनिक रूप से अपलोड भी कर दिया है, ताकि उपभोक्ता पारदर्शिता को देख सकें।
सरकार का कहना है कि यह कदम डिजिटल कंज्यूमर सेफ्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स ने जून 2025 में एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को तीन महीनों के भीतर सेल्फ-ऑडिट पूरा कर CCPA को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था। इसके बाद कंपनियों को यह सुनिश्चित करना था कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई भी ऐसा डिज़ाइन एलिमेंट न हो, जो उपभोक्ताओं को गुमराह करे या गलत दिशा में निर्णय लेने को मजबूर करे।
डार्क पैटर्न्स क्या होते हैं और इन्हें क्यों हटाया गया?
डार्क पैटर्न्स ऐसी डिजिटल ट्रिक्स होती हैं, जो यूजर्स को अनजाने में निर्णय लेने पर मजबूर करती हैं। इनमें फर्जी अर्जेंसी दिखाना—जैसे ‘केवल 1 आइटम बचा है’, कार्ट में छुपाकर कोई अतिरिक्त प्रोडक्ट जोड़ देना, सब्सक्रिप्शन को कैंसल करना मुश्किल बनाना, बड़े बटनों के पीछे गलत दिशा में विकल्प छुपाना, या कीमतों को टुकड़ों में दिखाना शामिल है। 2023 में जारी "गाइडलाइंस फॉर प्रिवेंशन एंड रेगुलेशन ऑफ डार्क पैटर्न्स" में ऐसे 13 पैटर्न्स को प्रतिबंधित कर दिया गया था। सरकार का कहना है कि ये पैटर्न्स उपभोक्ता की स्वतंत्र पसंद को प्रभावित करते हैं और कई बार उन्हें अनचाही खरीद या सब्सक्रिप्शन में फंसा देते हैं। इसलिए इन पर सख्त कार्रवाई जरूरी थी।
सरकार की भूमिका और आगे की रणनीति:
- CCPA ने जून 2025 में सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया था कि वे तीन महीनों के भीतर सेल्फ-ऑडिट करें और डार्क पैटर्न्स की पहचान करें।
- इसके बाद, कंपनियों को अपनी ऑडिट रिपोर्ट की बुनियाद पर सेल्फ-डिक्लेरेशन देना था, जिससे ये साबित हो सके कि उनकी साइट्स में कोई गुमराह करने वाली डिज़ाइन रणनीति नहीं है।
- सरकार ने एक Joint Working Group (JWG) भी स्थापित किया है, जिसमें मंत्रालयों, उपभोक्ता संगठनों और लॉ यूनिवर्सिटियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह समूह नियमित अंतराल पर उल्लंघनों की पहचान करेगा और कंज्यूमर अवेयरनेस को बढ़ाने के उपाय सुझाएगा।
- हालांकि, मीडिया द्वारा किए गए RTI के अनुसार, अधिकांश प्लेटफॉर्म्स ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है — केवल सेल्फ-डिक्लेरेशन ही प्लेटफॉर्म की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
उपभोक्ताओं को क्या लाभ मिलेगा?
- अब ऑनलाइन शॉपिंग करते समय कंज्यूमर्स को डिज़ाइन-ट्रिक्स से ज्यादा सुरक्षित और पारदर्शी अनुभव मिलने की उम्मीद है।
- यह कदम भरोसे को बढ़ाएगा, क्योंकि कंपनियों ने खुलकर कहा है कि वे गुमराह करने वाली युक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर रही।
- साथ ही, उपभोक्ताओं को यह जानने का मौका मिलेगा कि वे कैसे “डार्क पैटर्न्स” को पहचानें और अगर उन्हें ऐसी कोई रणनीति नजर आए, तो शिकायत कैसे दर्ज कराएं।
डार्क पैटर्न के 10 रास्ते
अगेंसी - इसमें ग्राहक से झूठ बोलना आता है जिसमें कहा जाता है कि रेट बढ़ने वाला है, रेट बढ़ने का बहाना बनाकर उसकी एजेंसी की जाती है।
बास्केट स्वीपिंग - इसमें बिना बताए कस्टमर को एक्स्ट्रा प्रोडक्ट दे दिया जाता है। बाद में उसके बिल में उस प्रोडक्ट की कीमत जोड़ दी जाती है।
कम्पल्सरी साइन अप - वेबसाइट पर पूरी तरह से एक्सेस करने के लिए साइन अप करना जरूरी करता है। बिना साइन अप किए वेबसाइट नहीं चलती।
फोर्स्ड एक्शन - ग्राहक तब तक वेबसाइट नहीं खोल पाता जब तक कोई एक्शन न ले।
शेमिंग - इसमें ग्राहक को किसी प्रोडक्ट को खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है।
वेट एंड स्विच - ग्राहक जो प्रोडक्ट चाहिए है उसकी जगह पर उसे दूसरा प्रोडक्ट थमा दिया जाता है। कम्पनी का बहाना होता है कि स्टॉक खत्म हो गया था इसलिए दूसरा प्रोडक्ट दिया गया।
हिडन कॉस्ट - ई-कॉमर्स कम्पनी की तरफ से पहले मूल्य की जानकारी नहीं दी जाती मगर बिल में उसकी कीमत जोड़ दी जाती है।
ट्रिक क्वेशचन - शॉपिंग के दौरान ग्राहक से पूछा जाता है कि क्या डिस्काउंट और ऑफर का फायदा लेना है? ग्राहक हां कह देता है।
रिकारिंग पेमेंट - ये एक कम्पनीकर्म को अच्छा बनाते हैं जिसमें ग्राहक से बार-बार चार्ज होता है। जब तक ग्राहक सदस्यता कैंसल नहीं करेगा तब तक उसकी पेमेंट अपने आप होती रहेगी।
मालवेयर - कस्टमर के कंप्यूटर या मोबाइल में मालवेयर डाल देना। जैसे बोटेटा की प्रक्रिया, जिसमें मालवेयर ग्राहक की पसंद को प्रभावित करता है।
ये 26 कंपनियां अब डार्क पैटर्न फ्री -
| 1 |
जेटो |
14 |
ब्लिंकिट |
| 2 |
जोमैटो |
15 |
पेज इंडस्ट्रीज |
| 3 |
स्विगी |
16 |
विलियम पेन |
| 4 |
जियोमार्ट |
17 |
विन्टर ट्रिप |
| 5 |
बिग बास्केट |
18 |
रिलायंस ज्वेल्स |
| 6 |
फार्म ईजी |
19 |
रिलायंस डिजिटल |
| 7 |
Zepto Marketplace |
20 |
नेटमेस्स |
| 8 |
फ्लिपकार्ट इंटरनेट |
21 |
टाटा 1mg |
| 9 |
मिंत्रा डिजाइनस |
22 |
मीशो |
| 10 |
वॉलमार्ट इंडिया |
23 |
इक्सिगो |
| 11 |
मेक माय ट्रिप इंडिया |
24 |
मिल्कबास्केट |
| 12 |
बिग बास्केट इनोवेटिव रिटेल कॉमर्सेस |
25 |
हैमिल्स इंडिया |
| 13 |
जियो मार्ट रिलायंस रिटेल |
26 |
अजियो / तिरा ब्यूटी / स्ट्राइप्स / कुराजोन इंडिया (रिलायंस रिटेल ग्रुप की अन्य प्लेटफॉर्म्स) |