Los Angeles Protest: ‘संघीय सरकार करेगी हस्तक्षेप…’ लॉस एंजिल्स में प्रदर्शन और आगजनी पर भड़के ट्रंप

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Posted On:Monday, June 9, 2025

अमेरिका के लॉस एंजेल्स में शुक्रवार को अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) एजेंसी द्वारा की गई एक बड़ी छापेमारी के बाद शहर में भारी तनाव और विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इस छापेमारी के खिलाफ शनिवार को लॉस एंजेल्स के पैरामाउंट शहर में 400 से अधिक लोगों ने एकत्रित होकर प्रदर्शन किया, जो जल्द ही हिंसक रूप ले गया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच कई जगह टकराव हुए, साथ ही कुछ इलाकों में आगजनी और तोड़-फोड़ की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे हालात और बिगड़ गए।


ICE की छापेमारी और गिरफ्तारी

लॉस एंजेल्स में शुक्रवार को ICE एजेंटों ने विभिन्न स्थानों पर छापेमारी कर कई अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई अमेरिकी प्रशासन की कड़े आप्रवासन नियमों और प्रवासी विरोधी नीतियों के तहत की गई थी। इस कार्रवाई का उद्देश्य उन लोगों को पकड़ना था जो देश में अवैध रूप से रह रहे हैं या जिनके खिलाफ न्यायिक आदेश जारी हैं। हालांकि, इस छापेमारी ने स्थानीय समुदाय में भारी असंतोष और आक्रोश पैदा कर दिया।


विरोध प्रदर्शन में हिंसा और आगजनी

पैरामाउंट शहर में हुए विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। पुलिस के अनुसार, 400 से अधिक प्रदर्शनकारी गैरकानूनी रूप से सड़कों पर जमा हुए थे, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन खत्म करने और लौट जाने के लिए कहा। लेकिन कुछ प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए, जिससे पुलिस को स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए मजबूर होकर कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर आगजनी की, साथ ही कुछ दुकानों और वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया। इससे पूरे इलाके में अफरातफरी फैल गई।


ट्रंप का सख्त रुख और चेतावनी

इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "ट्रुथ सोशल" पर सख्त बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि अगर कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूस्कम और लॉस एंजेल्स के मेयर करेन बास इस स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं, तो संघीय सरकार इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करेगी। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि दंगों, हिंसा और लूटपाट की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और प्रशासन द्वारा इसे तुरंत रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। उनका कहना था कि यह समस्या वैसी ही तरीके से हल की जाएगी जैसी इसे किया जाना चाहिए।


स्थानीय प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया

पैरामाउंट के शेरिफ रॉबर्ट लूना ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण रहने और हिंसा से बचने का आग्रह किया गया, लेकिन कुछ समूहों ने इसका उल्लंघन किया। पुलिस ने स्थिति को काबू में करने के लिए आवश्यक बल का उपयोग किया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के दंगे और तोड़-फोड़ न केवल शहर की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि आम जनता के लिए भी नुकसानदायक हैं।


विरोध प्रदर्शन के पीछे के कारण

लॉस एंजेल्स में हुई इस छापेमारी और इसके बाद हुए प्रदर्शनों का मुख्य कारण अमेरिका में आप्रवासियों के खिलाफ बढ़ती सख्ती है। ICE की ओर से जारी की गई छापेमारी और गिरफ्तारीयों को कई प्रवासी समुदाय और उनके समर्थक अन्यायपूर्ण और अमानवीय कदम मान रहे हैं। वे इसे परिवारों के टूटने और समुदायों में भय फैलाने वाला कार्य बता रहे हैं। इससे पहले भी अमेरिका में आप्रवासियों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाईयों को लेकर कई बार विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं।


सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

यह विरोध प्रदर्शन न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। ट्रंप प्रशासन की कड़ी आप्रवास नीति को लेकर देशभर में मतभेद गहराते जा रहे हैं। कई राजनीतिक नेताओं ने इस नीति की आलोचना की है, वहीं कुछ ने इसे देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है। लॉस एंजेल्स जैसे बड़े और विविधता वाले शहर में इस तरह के प्रदर्शन सामाजिक तनाव को बढ़ा सकते हैं।


आगे की स्थिति

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि आने वाले दिनों में लॉस एंजेल्स में शांति बहाल होगी या नहीं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और संघीय एजेंसियों को मिलकर स्थिति को नियंत्रित करने के लिए और भी सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं। वहीं, प्रवासी समुदाय और उनके समर्थक भी अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे। अमेरिका में आप्रवास नीति और प्रवासियों के अधिकारों को लेकर यह मुद्दा आने वाले समय में भी गरमाए रहने की पूरी संभावना है।


निष्कर्ष

लॉस एंजेल्स में ICE की छापेमारी के बाद उत्पन्न विरोध प्रदर्शन और हिंसा ने शहर में व्यापक अस्थिरता पैदा कर दी है। इस घटना ने अमेरिका में आप्रवास नीति की जटिलताओं और संवेदनशीलता को फिर से उजागर किया है। राष्ट्रपति ट्रंप का सख्त रुख और संघीय सरकार द्वारा संभावित हस्तक्षेप ने मामले को और गंभीर बना दिया है। ऐसे समय में जरूरी है कि सभी पक्ष शांति और संवेदनशीलता के साथ इस विवाद का समाधान निकालें ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और समुदायों के बीच सौहार्द कायम हो सके।


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