मुंबई, 05 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत सरकार ने घोषणा की कि वो मालदीव में जरूरी सामानों का एक्सपोर्ट जारी रखेगी। मालदीव में मौजूद भारतीय हाई कमीशन ने बताया, मालदीव की सरकार की अपील पर भारत 2024-25 के लिए देश में जरूरी सामानों का एक्सपोर्ट जारी रखेगा। सामानों की जो मात्रा तय की गई है वो 1981 के बाद सबसे ज्यादा होगी। हालांकि यह अभी साफ नहीं किया गया ये सामान कितनी मात्रा में भेजे जाएंगे। भारत सरकार ने देश में चावल, चीनी और प्याज जैसे मूलभूत उत्पादकों के दाम पर काबू करने के लिए इनके एक्सपोर्ट पर फिलहाल रोक लगा रखी है। लेकिन अब सरकार ने घोषणा की है कि प्रतिबंधों के बावजूद मालदीव में इन सामानों की सप्लाई जारी रहेगी। वहीं, हाई कमीशन के मुताबिक, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में इस्तेमाल होने वाली नदी की रेत और पत्थरों का 10 लाख मीट्रिक टन एक्सपोर्ट किया जाएगा। इसमें 25% की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा अंडे, आलू, आटा और दाल के कोटे में भी 5% बढ़ाया गया है। यह कदम भारत के पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देने वाली नीति नेबर्स फर्स्ट के तहत उठाए गए हैं। भारत हमेशा से मालदीव में लोगों से जुड़े विकास को बढ़ावा देता है। पिछले साल भी भारत ने चावल, चीनी और प्याज के एक्सपोर्ट पर लगाए गए बैन के बावजूद मालदीव को इनकी सप्लाई जारी रखी थी।
आपको बता दें, पड़ोसी देश में मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद से इंडिया आउट की पॉलिसी अपनाई है। इसके तहत वहां मौजूद 88 भारतीय सैनिकों को हटाने का फैसला किया गया था। सैनिकों का पहला बैच पिछले महीने ही लौट चुका है। वहीं सभी सैनिकों के मालदीव से जाने के लिए 10 मई की तारीख तय की गई है। दूसरी तरफ, मालदीव ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे समझौता भी रद्द कर दिया था। राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा था कि देश इस सर्वे में इस्तेमाल होने वाली मशीनों और तकनीक को खुद जुटाएगा। इंडिया आउट पॉलिसी के बीच राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन के साथ रिश्तों पर फोकस किया है। करीब 1 महीने पहले दोनों देशों के बीच सैन्य समझौता हुआ था। इसके ठीक बाद मुइज्जू ने बयान दिया था कि 10 मई के बाद कोई भी भारतीय सैनिक न यूनिफॉर्म या सादे कपड़ों में भी मालदीव में नहीं रहेगा।