मुंबई, 9 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 सितंबर को सुनवाई करेगा। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच करेगी। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत पांच पक्षों की तरफ से राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई थी। मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आज के समय में इस कानून की जरूरत नहीं है। इससे पहले 1 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि राजद्रोह को अपराध बनाने वाली IPC की धारा 124A की समीक्षा की जा रही है। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी थी। हालांकि, सुनवाई की तारीख आने से पहले ही 11 अगस्त 2023 को गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 163 साल पुराने 3 कानूनों में बदलाव के लिए बिल पेश किया। इसमें राजद्रोह कानून खत्म करना भी शामिल है।
तो वहीं, लॉ कमीशन ने 2 जून को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आयोग का कहना था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124A को IPC में बनाए रखने की आवश्यकता है। इसको हटाने का कोई वैलिड रीजन नहीं है। हालांकि, कानून के उपयोग को लेकर ज्यादा स्पष्टता बनी रहे इसके लिए कुछ संशोधन किए जा सकते हैं। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में एक आदेश दिया है कि जब तक IPC की धारा 124A की री-एग्जामिन प्रोसेस पूरी नहीं हो जाती, तब तक इसके तहत कोई मामला दर्ज नहीं होगा। कोर्ट ने पहले से दर्ज मामलों में भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस धारा में जेल में बंद आरोपी भी जमानत के लिए अपील कर सकते हैं।