नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर शहर के तेलंगखेड़ी गांव में सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़े की कोशिश के मामले में कमलेश दिलीप चौधरी के खिलाफ गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। आरोप है कि कमलेश ने लगभग 43.87 लाख वर्गफुट सरकारी भूमि हड़पने के इरादे से फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए और अपने पिता को उस ज़मीन का मालिक बताने की कोशिश की। यह ज़मीन कृषि विभाग के स्वामित्व में है और इस पर महाराष्ट्र पशुपालन और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय वन स्वास्थ्य संस्थान जैसे संस्थानों के अधिकार पहले से दर्ज हैं।
कमलेश चौधरी ने 21 जनवरी 2025 को सिटी सर्वे कार्यालय में एक आवेदन जमा किया था, जिसमें फर्जी हस्तलिखित रजिस्ट्री की प्रति लगाकर यह दावा किया गया था कि ज़मीन उनके पिता दिलीप चौधरी के नाम पर है। जांच में यह कागज़ात पूरी तरह फर्जी पाए गए और सिटी सर्वे कार्यालय ने इसे खारिज कर दिया। हालांकि तब मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा, लेकिन 29 मई को समाजसेविका ज्वाला जांबुवंतराव धोटे ने कमलेश चौधरी, उनकी मां मीना चौधरी और भाई मुकेश के खिलाफ शिकायत दी, जिसके आधार पर 17 जून को सिटी सर्वे विभाग ने औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज कराई और 20 जून को एफआईआर दर्ज की गई।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व विधायक विकास ठाकरे ने भी इसे लेकर पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले से मुलाकात की और आरोपियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की। कमलेश चौधरी के खिलाफ पहले से ही फुटाला तालाब और उसके कैचमेंट क्षेत्र में अवैध निर्माण से जुड़े तीन मामले दर्ज हैं। यह चौथा मामला सरकारी दस्तावेजों की फर्जीवाड़ा और भूमि हड़पने से जुड़ा है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह एक सुनियोजित और लगातार चल रहा प्रयास है।
ज्वाला धोटे ने अपने प्रेस बयान में साफ कहा कि यह मामला सिर्फ ज़मीन पर कब्ज़े तक सीमित नहीं है, बल्कि कमलेश चौधरी ने फर्जी दस्तावेजों को अदालतों और सरकारी दफ्तरों में पेश कर न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था को गुमराह किया है। उन्होंने मांग की कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक आरोपी को न्यायिक हिरासत में लिया जाए और उस पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत कार्रवाई की जाए, ताकि ऐसे संगठित अपराधों पर लगाम लगाई जा सके।