नागपुर न्यूज डेस्क: राज्य सरकार ने 14 अक्टूबर 2024 को मिड-डे मील योजना से जुड़ी एक नई अधिसूचना जारी की थी, जिसे लेकर नवसारी की तीन संस्थाओं—आशा महिला बचत गुट, आविष्कार सोशल वेलफेयर फाउंडेशन और रक्त रंजित क्रांति बहुउद्देशीय संस्था—ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने फिलहाल सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाते हुए राज्य से जवाब तलब किया था।
अब राज्य सरकार ने अदालत से एक दिन का अतिरिक्त समय मांगते हुए जवाब दाखिल करने की अनुमति चाही है। हाई कोर्ट ने इस पर सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है। साथ ही याचिकाकर्ताओं से भी कहा गया है कि यदि वे कोई अतिरिक्त हलफनामा देना चाहते हैं, तो उन्हें तीन दिन के भीतर वह दाखिल करना होगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि पहले की 2019 और 2022 की अधिसूचनाओं के अनुसार मिड-डे मील योजना के लिए पारदर्शी टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाती थी, लेकिन नई अधिसूचना में इसे खत्म कर स्कूल प्रबंधन को सीधे भोजन तैयार करने का अधिकार दे दिया गया है। उनका कहना है कि इससे भ्रष्टाचार और अनियमितता की आशंका बढ़ जाती है, क्योंकि प्रबंधन को दिए गए सीधे अधिकारों की निगरानी मुश्किल हो सकती है।
कोर्ट ने भी अपने आदेश में माना कि कुछ शिकायतों के आधार पर सरकार ने टेंडर प्रक्रिया बंद कर दी और पूरा नियंत्रण स्कूल प्रबंधन को सौंप दिया। इससे न केवल टेंडर प्रणाली निष्क्रिय हो जाती है, बल्कि सफल बोलीदाताओं को अधिकार से वंचित किया जाता है। कोर्ट ने साफ किया कि नई अधिसूचना पारदर्शिता के विपरीत है, और इससे पूर्व में तय प्रक्रिया की अनदेखी हुई है। खासकर अधिसूचना के खंड (ii) और (iii) से स्पष्ट होता है कि मिड-डे मील का कार्य अब टेंडर के जरिए नहीं दिया जाएगा।