पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ 76 हजार अरब पार, अर्थव्यवस्था में मामूली रिकवरी का दावा, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Tuesday, June 10, 2025

मुंबई, 10 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान में 9 जून को इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 पेश किया गया, जिसे देश के वित्तमंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने सार्वजनिक किया। सर्वे में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में पाकिस्तान का कुल कर्ज बढ़कर 76 हजार अरब पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच गया है। इसमें 51.5 हजार अरब रुपए लोकल बैंकों से लिए गए हैं, जबकि 24.5 हजार अरब रुपए का ऋण विदेशी बैंकों और संस्थाओं से लिया गया है। सरकार ने नए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रक्षा बजट में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए इसे 2.55 लाख करोड़ रुपए कर दिया है, जो करीब 9.04 अरब डॉलर है। वहीं, वित्तमंत्री औरंगजेब का कहना है कि पिछले दो सालों में अर्थव्यवस्था में स्थिरता आई है और चालू वित्त वर्ष में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। वर्ष 2024 में पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ 2.5 प्रतिशत रही, जो 2023 में महज 0.2 प्रतिशत थी।

सर्वे के मुताबिक चालू खाते में जुलाई से अप्रैल तक 1.9 अरब डॉलर का सरप्लस दर्ज हुआ, जिसकी मुख्य वजह आईटी सेक्टर से होने वाला 3.5 अरब डॉलर का निर्यात रहा। इसके अलावा, रेमिटेंस यानी विदेशों में काम करने वाले पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा भेजी गई रकम भी 37 से 38 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है, जो दो साल पहले 27 अरब डॉलर थी। 2024 के अंत तक पाकिस्तान का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 9.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि 2023 में यह सिर्फ दो हफ्ते के आयात के लिए पर्याप्त था। वहीं, देश का एक्सपोर्ट 27.3 अरब डॉलर और इंपोर्ट 48.6 अरब डॉलर रहा। पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का कुल आकार अब 411 अरब डॉलर हो गया है, जो पिछले साल 372 अरब डॉलर था।

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में चरम गरीबी की स्थिति और खराब हुई है। 2017-18 से 2020-21 के बीच यह 4.9 प्रतिशत से बढ़कर 16.5 प्रतिशत हो गई, जबकि कुल गरीबी 39.8 प्रतिशत से बढ़कर 44.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसके विपरीत, भारत ने इसी अवधि में गरीबी दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की है। भारत में 2011-12 में जहां 27.1 प्रतिशत लोग चरम गरीबी में थे, वहीं 2022-23 में यह संख्या घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई। इस तरह 26.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले, जो पाकिस्तान की कुल आबादी से भी ज्यादा है। पाकिस्तान अब तक 25 बार IMF से बेलआउट पैकेज ले चुका है, जिनकी कुल राशि 44.57 अरब डॉलर है। इसके अलावा, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक से 38.8 अरब डॉलर और चीन से 25 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज लिया गया है। सऊदी अरब, यूएई और पेरिस क्लब जैसे स्रोतों से भी भारी वित्तीय सहायता ली गई है। पाकिस्तान को आने वाले चार वर्षों में 100 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है। जुलाई 2025 तक इस राशि में से करीब 30.35 अरब डॉलर चुकाने की डेडलाइन है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने अप्रैल में कहा था कि जून 2025 तक देश का फॉरेन रिजर्व 14 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, लेकिन यह कर्ज के मुकाबले काफी कम है। मई 2024 में IMF ने पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की क्षमता को लेकर चिंता जताई थी और इसे देश की नीतियों और समय पर मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय मदद पर निर्भर बताया था।


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