जयपुर की छात्रा अमायरा सुसाइड केस में बड़ा खुलासा, CBSE जांच से सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

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Posted On:Friday, November 21, 2025

जयपुर में 9 साल की मासूम छात्रा अमायरा की आत्महत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। अब CBSE की जांच रिपोर्ट ने इस दर्दनाक घटना से जुड़े कई गंभीर खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के शौर्य केस की तरह अमायरा भी स्कूल में मौखिक उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का शिकार हो रही थी। स्कूल की ओर से बच्चों की सुरक्षा, काउंसलिंग और संवेदनशील मामलों में अनुशासन की भारी कमी सामने आई है।

CBSE की जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नीरजा मोदी स्कूल ने एफिलिएशन बाय लॉज सहित बच्चों की सुरक्षा से जुड़े कई नियमों का उल्लंघन किया। रिपोर्ट में पाया गया कि अमायरा को लंबे समय से बुली किया जा रहा था, जिसमें मौखिक और यौन दुर्व्यवहार जैसी संवेदनशील बातें भी शामिल थीं। इसके बावजूद स्कूल प्रशासन और शिक्षकों ने उसकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया।

शिक्षिका ने दो बार शिकायत सुनी, लेकिन नहीं भेजा काउंसलर के पास

जांच के दौरान यह सामने आया कि घटना वाले दिन अमायरा ने अपनी शिक्षिका को 45 मिनट के अंतराल में दो बार बताया कि उसका सहपाठी उसके साथ गलत व्यवहार कर रहा है। लेकिन शिक्षिका ने न तो इस शिकायत पर कोई ठोस कदम उठाया और न ही उसे काउंसलर के पास भेजा गया। यही नहीं, अमायरा के माता-पिता ने भी स्कूल प्रशासन को बुलिंग की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उनकी शिकायतों को भी नज़रअंदाज़ कर दिया गया। यह लापरवाही ही शायद इस दर्दनाक घटना की सबसे बड़ी वजह बनी। CBSE की जांच समिति ने घटना के बाद स्कूल को नोटिस जारी किया है और 30 दिन के भीतर जवाब मांगा है।

कैसे हुई थी घटना?

1 नवंबर को जयपुर के शिप्रा पथ पर स्थित नीरजा मोदी स्कूल में चौथी मंजिल से कूदकर अमायरा ने अपनी जान दे दी। यह घटना दोपहर करीब 1:30 बजे आखिरी पीरियड के दौरान हुई, जब अमायरा क्लास के बीच में ही बाहर निकल गई और रेलिंग से छलांग लगा दी। करीब 48 फीट नीचे गिरने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। शिक्षकों ने उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने पहली जांच में ही उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, जबकि CBSE ने 3 नवंबर को स्कूल का निरीक्षण किया और 11 नवंबर को छात्रा के परिवार से भी मुलाकात की।

क्या है दिल्ली का शौर्य सुसाइड केस?

अमायरा की घटना के कुछ दिनों पहले ही दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट कोलंबा स्कूल में भी 16 वर्षीय छात्र शौर्य पाटिल ने आत्महत्या कर ली थी। 18 नवंबर को शौर्य ने राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन के प्लेटफॉर्म-2 से कूदकर अपनी जान दे दी थी। उसके बैग से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उसने शिक्षकों पर मानसिक उत्पीड़न, अपमानित करने और स्कूल से निकालने की धमकी देने के आरोप लगाए थे। शौर्य भी अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। इस घटना के बाद दिल्ली सरकार ने हाई-लेवल जांच कमेटी गठित की और स्कूल ने हेडमिस्ट्रेस सहित चार स्टाफ सदस्यों को सस्पेंड कर दिया।

बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल

अमायरा और शौर्य जैसे मामलों ने एक बार फिर स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और शिकायत निवारण की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्कूल प्रशासन को संवेदनशीलता, पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है। CBSE की रिपोर्ट के आधार पर अब आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह आने वाले दिनों में साफ होगा, लेकिन अमायरा की यह दुखद मौत समाज और शिक्षा व्यवस्था दोनों के लिए एक कड़ा सबक है।


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