नागपुर न्यूज डेस्क: उपराजधानी और विदर्भ के जिलों में न तो कोई हथियार निर्माण की फैक्टरी है और न ही वैध उत्पादन केंद्र, फिर भी पिस्तौल, कट्टा और माउजर जैसे घातक हथियार लगातार पकड़ में आ रहे हैं। यह सवाल पुलिस के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है कि यह अवैध हथियार यहां तक कैसे पहुंचते हैं।
सूत्रों के अनुसार, संतरानगरी में इस साल के शुरुआती 10 महीनों में क्राइम ब्रांच और थाना स्तर पर हथियारों से जुड़ी 28 कार्रवाइयों में 39 आरोपी गिरफ्तार किए गए। इसमें क्राइम ब्रांच की यूनिट 2, 5, एनडीपीएस दस्ता और सामाजिक सुरक्षा दस्ते ने 10 बंदूकें, 16 कारतूस और कुल 11,18,800 रुपए मूल्य का माल जब्त किया। पिछले तीन वर्षों में भी 2023 में 16, 2024 में 26 और 2025 में अब तक 28 कार्रवाइयों में कुल 70 हथियार संबंधित गिरफ्तारी हुई।
जांच में खुलासा हुआ कि अधिकांश आरोपी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से हथियार खरीदकर नागपुर लाते हैं। अब नागपुर में अवैध हथियारों का कारोबार संगठित नेटवर्क का रूप ले रहा है। स्थानीय लोग बाहरी राज्यों से जुड़े गिरोहों के साथ मिलकर इस धंधे को अंजाम दे रहे हैं। यूपी-बिहार से सस्ते दामों पर लाए गए कट्टे और पिस्तौल नागपुर में महंगे दामों पर बेचे जा रहे हैं। पुलिस इन आरोपियों पर पैनी नजर बनाए हुए है।
अवैध हथियारों का उपयोग प्रायः उगाही, गैंगवार और धमकाने जैसे अपराधों में किया जा रहा है। एक दशक पहले जब शहर में गैंगस्टरों का बोलबाला था, तब भी हथियार तस्करी और फायरिंग के मामले सामने आते रहे। तत्कालीन पुलिस आयुक्त डॉ. के. व्यंकटेशम ने इस अवैध कारोबार पर कड़ी नकेल कसी थी, कई बड़े तस्कर पकड़े गए, लेकिन नेटवर्क पूरी तरह खत्म नहीं हुआ।