नागपुर न्यूज डेस्क: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि नागपुर की मिट्टी में ही सेवा, त्याग और अनुशासन की भावना रची-बसी है, इसलिए आरएसएस जैसी संस्था का जन्म केवल यहीं संभव था। उन्होंने बताया कि संघ की स्थापना डॉक्टर हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में की थी, और अब यह संगठन अपने 100 वर्ष पूरे कर चुका है। भागवत ने कहा कि आरएसएस का उद्देश्य हमेशा से समाज में अनुशासन, सेवा और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ाना रहा है।
नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश की मजबूती केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “जब हम राष्ट्र के लिए निस्वार्थ भाव से काम करते हैं, तो इससे देश के साथ-साथ हमारा भी भला होता है। वही देश सम्मानित होता है, जिसके नागरिक कर्तव्यनिष्ठ होते हैं।”
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने छत्रपति शिवाजी महाराज के योगदान का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने स्वराज की स्थापना केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि धर्म, राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए की थी। उनके आदर्शों ने लोगों को एकजुट किया और समाज में आत्मविश्वास जगाया। भागवत के अनुसार, शिवाजी के विचारों ने आगे चलकर 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को भी प्रेरित किया।
भागवत ने कहा कि इतिहास हमें यह सिखाता है कि जो लोग निस्वार्थ भावना से समाज के लिए काम करते हैं, वे ही आने वाली पीढ़ियों के मार्गदर्शक बनते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि हर नागरिक को समाज और राष्ट्रहित में योगदान देना चाहिए, क्योंकि यही असली देशभक्ति है।