नागपुर न्यूज डेस्क: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 25% टैरिफ लगाने की तारीख बदलकर 7 अगस्त करने के ऐलान के बीच टैरिफ वॉर को लेकर सियासत गरमा गई है। इसी माहौल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए कहा कि भारत को अपनी प्रगति अपने बल पर करनी होगी। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार की ताकत में वृद्धि जरूरी है और इसके लिए हमें अपने ‘स्व’ यानी वास्तविक स्वरूप को समझना होगा। उन्होंने ‘स्व’ के महत्व को विस्तार से समझाया और कहा कि जब आत्मनिर्भरता आती है, तो बल, शक्ति और लक्ष्मी अपने आप आ जाते हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में रामटेक के कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के नए परिसर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। सन 1 से 1600 ईस्वी तक भारत दुनिया में अग्रणी था, लेकिन जब हमने अपने स्वत्व को भूलना शुरू किया, तो पतन होने लगा और विदेशी आक्रांताओं के शिकार हो गए। अंग्रेजों ने तो हमारी सोच को गुलाम बनाने का तरीका भी खोज लिया।
भागवत ने कहा कि भाषा हमारे ‘स्व’ भाव को व्यक्त करने का साधन है और समाज की सोच उसी के अनुसार भाषा को आकार देती है। उन्होंने पश्चिमी देशों के ग्लोबल मार्केट के विचार को असफल बताते हुए कहा कि भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का विचार दिया। उन्होंने संस्कृत के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि यह भाषा न केवल शास्त्रों की बल्कि वार्तालाप की भी होनी चाहिए। संस्कृत जानने वाला कोई भी भाषा जल्दी सीख सकता है और यह देश की सभी भाषाओं की जननी है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाना और बोलचाल में लाना जरूरी है। इसके लिए केवल विश्वविद्यालय से डिग्री लेना ही जरूरी नहीं, बल्कि पारंपरिक रूप से भी इसे सीखा और सिखाया जा सकता है। संस्कृत के विकास के लिए राजाश्रय के साथ-साथ जनाश्रय भी जरूरी है। भारतीयों की अस्मिता को जागृत करने के लिए सभी भाषाओं और उनकी जननी संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन पर विशेष ध्यान देना होगा।