नागपुर न्यूज डेस्क: फसल बीमा योजना में हुए बड़े घोटाले के बाद चर्चा थी कि इसे बंद किया जा सकता है, लेकिन कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने साफ कर दिया कि यह योजना बंद नहीं होगी। हालांकि, इसके नियमों में सुधार किया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे। केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना की आलोचना इस आधार पर हुई थी कि यह किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों के हित में है। इसके बाद राज्य सरकार ने इसे अपने स्तर पर लागू किया, जहां बीड़ जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे आजमाया गया और फिर पूरे राज्य में इसे लागू कर दिया गया।
इस योजना के तहत किसानों को फसल बीमा के लिए केवल एक रुपये का भुगतान करना होता है, जबकि बाकी रकम सरकार देती है। हालांकि, जांच में सामने आया कि इसमें बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ। कई जगहों पर फर्जी किसानों के नाम पर बीमा कराया गया, जिससे योजना के दुरुपयोग की खबरें आईं। माना जा रहा था कि इस घोटाले के चलते सरकार इसे बंद कर सकती है, लेकिन कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि किसानों के हितों को देखते हुए योजना जारी रहेगी। जहां गड़बड़ी हुई है, वहां संबंधित सेवा केंद्रों पर कार्रवाई की गई है।
इसके अलावा, एकनाथ शिंदे सरकार के दौरान कृषि विभाग में भी बड़े घोटाले की बातें सामने आईं, जहां ऊंची दरों पर सामग्री खरीदी गई और टेंडर में अनियमितताएं पाई गईं। जब कृषि मंत्री से इस पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। वहीं, कपास और सोयाबीन खरीद से जुड़े सवालों पर उन्होंने यह कहकर जवाब देने से बचाव किया कि यह मामला विपणन विभाग से जुड़ा है। इस पर भी सवाल उठ रहा है कि कृषि विभाग में घोटाले की चर्चा लंबे समय से हो रही है, फिर भी मंत्री ने अब तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया।