नागपुर न्यूज डेस्क: पुणे और मुंबई में अवैध होर्डिंग गिरने से हुई मौतों के बाद राज्य सरकार ने सभी बड़े शहरों में सर्वे और कार्रवाई के निर्देश दिए थे। नागपुर महानगरपालिका ने भी दो टीमों के जरिए 650 से ज्यादा होर्डिंग का निरीक्षण किया, लेकिन अवैध होर्डिंग्स हटाने की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। विज्ञापन विभाग अब जिम्मेदारी जोन कार्यालयों पर डाल रहा है, जबकि जोन स्तर पर भी ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे। नतीजतन, शहर में अवैध होर्डिंग्स की भरमार बनी हुई है, जो न केवल मनपा के राजस्व का नुकसान कर रहे हैं, बल्कि नागरिकों की जान के लिए भी खतरा हैं।
मनपा की नीति के अनुसार, होर्डिंग लगाने के लिए शुल्क, मजबूती का प्रमाण और अनुमति जरूरी है। बगैर अनुमति लगाए गए होर्डिंग्स पर पहले तीन महीने में कुल शुल्क का 10% जुर्माना, तीन से छह महीने में 25% जुर्माना और छह महीने बाद अनुमति रद्द करने का प्रावधान है। इसके बावजूद अवैध होर्डिंग्स शहर में जस के तस हैं। दंड और कानूनी प्रावधान भी इन पर कोई असर नहीं डाल पा रहे।
विज्ञापन विभाग के उपायुक्त मिलिंद मेश्राम का कहना है कि हाई कोर्ट के निर्देश पर जोन कार्यालयों को नियमित नोटिस भेजे जा रहे हैं और अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई तेज की जाएगी। वहीं, अधिकृत कियोस्क और विज्ञापन फलक की व्यवस्था अलग है—शहर में 550 अधिकृत कियोस्क के लिए एक निजी कंपनी को टेंडर के तहत अनुमति दी गई है, जिससे सालाना 1.75 करोड़ रुपये मनपा को मिलते हैं। इन पर मनपा का चिन्ह दर्ज है, लेकिन इन अधिकृत होर्डिंग्स के साथ ही अवैध विज्ञापन भी बड़ी संख्या में लगे हुए हैं।
असल समस्या यह है कि जोन स्तर पर कार्रवाई की गति बेहद धीमी है, और जब तक इन पर सख्ती नहीं होगी, अवैध होर्डिंग्स का फैलाव जारी रहेगा। पिछले हादसों से सबक लेने की बात तो होती है, लेकिन जमीन पर कार्रवाई उतनी तेज नहीं दिख रही। ऐसे में बारिश या तेज हवा के दौरान इन होर्डिंग्स के गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है।