बिहार सहकारी बैंक 'धोखाधड़ी' पीएमएलए मामले में ईडी ने आरजेडी विधायक और अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को बिहार समेत कई राज्यों में आरजेडी विधायक आलोक कुमार मेहता के ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी राज्य सहकारी बैंक में कथित धन गबन से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई। उन्होंने बताया कि बिहार, पश्चिम बंगाल (कोलकाता), उत्तर प्रदेश और दिल्ली में करीब 18 ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि इनमें आरजेडी विधायक और बिहार के पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता (58) से जुड़े परिसर शामिल हैं। आलोक कुमार मेहता बिहार स्थित वैशाली शहरी विकास (वीएसवी) सहकारी बैंक के प्रमोटरों में से एक हैं। इसके अलावा कुछ अन्य संबंधित संस्थाएं भी हैं। ईडी की कार्रवाई को लेकर आरजेडी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच बैंक और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ करीब 85 करोड़ रुपये के धन के गबन के लिए दर्ज कुछ राज्य पुलिस एफआईआर से शुरू हुई है।
जेंसी के एक अधिकारी ने बताया कि कथित धोखाधड़ी लगभग 400 ऋण खातों के माध्यम से की गई थी और धन का वितरण "नकली या जाली" गोदाम रसीदों के आधार पर किया गया था। सूत्रों ने बताया कि बैंक कर्मचारी और अन्य निजी व्यक्ति, जो अपराध की आय के कथित लाभार्थी हैं और जिन्होंने आलोक मेहता और उनके सहयोगियों के साथ मिलकर काम किया, वे भी तलाशी अभियान में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आरबीआई ने बैंक का सत्यापन किया था और बैंक के धन के कथित डायवर्जन की पहचान की थी।
लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ सदस्य मेहता बिहार की उजियारपुर सीट से विधायक हैं। वह पहले राज्य में राजस्व और भूमि सुधार मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। ईडी की कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए राजद प्रवक्ता (बिहार इकाई) मृत्युंजय तिवारी ने पीटीआई से कहा, "भाजपा राजद और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग का इस्तेमाल करती है... यह स्पष्ट है कि दिल्ली में बैठे शासक राजद और उसके नेताओं से डरते हैं, इसलिए वे हमारे नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।"