मुंबई, 01 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सीबीआई के रेजिंग डे कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर आयोजित 20वें डीपी कोहली मेमोरियल लेक्चर में चीफ जस्टिस ने भाषण दिया। साथ ही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ विशिष्ट सेवाओं के लिए प्रेसिडेंट पुलिस मेडल्स (PPM) और मेरिटोरियस सर्विस के सीबीआई अफसरों को पुलिस मेडल भी दिया। सीजेआई ने कहा कि, देरी रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने की जरूरत है। हमें एक संस्थागत प्रतिबद्धता, विभिन्न विभागों के बीच वित्त, तालमेल और रणनीतियों की आवश्यकता है। CBI को मामलों के धीमे निपटान से निपटने के लिए एक स्ट्रैटजी बनानी होगी। जजों की शिकायत रहती है कि उनमें जो बेस्ट होता है, उसे CBI कोर्ट्स में नियुक्त किया जाता है, क्योंकि वे संवेदनशील होते हैं। लेकिन धीमी गति से सुनवाई के चलते मामलों के निपटाने की दर भी धीमी हो जाती है।
सीजेआई ने ये भी कहा कि, बहुत सी विशेष सीबीआई अदालतें मौजूदा अदालतें हैं। सिस्टम में आमूल-चूल बदलाव करने के लिए हमें नए टेक्नीकली एडवांस्ड इक्विपमेंट्स की जरूरत है।CBI उन अपराधों से निपटती है, जो देश की इकोनॉमी को प्रभावित करते हैं। उनका जल्द निपटारा जरूरी है। जिन पर पर कानून के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया, इससे उनकी जिंदगी और प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचती है। देरी न्याय देने में बाधक बनती है। कोविड के दौरान हमने जबर्दस्त कनेक्टिविटी देखी। वर्चुअल कोर्ट्स और ई-फिलिंग सामने आई। इसमें चुनौती ये है कि बिना इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की समझ के बिना कैसे काम करेंगे। प्रॉपर ट्रेनिंग जरूरी है। सीजेआई ने आगे कहा कि समन इलेक्ट्रॉनिक (ऑनलाइन) तरीके से दिए जाने चाहिए। गवाही भी वर्चुअली रिकॉर्ड किया जा सकता है, इससे पेपरवर्क बचेगा और प्रोसेस आसान होगी। इससे जमानत मिलने में देरी से बचा जा सकेगा। साथ ही दूरदराज के स्थानों से भी प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकेगा। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 94 और एस-185 के मुताबिक, कोर्ट्स को डिजिटल सबूत मंगाने के लिए समन देने का अधिकार है। छापेमारी और पर्सनल डिवाइस की अवांछित जब्ती के उदाहरण जांच संबंधी अनिवार्यताओं और गोपनीयता अधिकारों को संतुलित करने की जरूरत बताते हैं।