मुंबई, 11 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी को लोकतंत्र के सिद्धांतों पर हमला बताया। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी को अवैध घोषित करने और उन्हें जल्द से जल्द रिहा करने की मांग की। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी और रिमांड के फैसले को सही ठहराने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दिल्ली सीएम ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में कहा लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद उनकी गिरफ्तारी बाहरी विचारों से प्रेरित थी। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा, प्रवर्तन निदेशालय ने लोकसभा चुनाव के बीच मुझे गिरफ्तार करके अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। ऐसा करके न सिर्फ राजनीतिक विरोधियों की स्वतंत्रता पर हमला किया गया, बल्कि मेरी प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान को भी धूमिल किया गया।
केजरीवाल की याचिका में कहा गया कि अगर याचिकाकर्ता (केजरीवाल) को लोकसभा चुनावों में भाग लेने के लिए तुरंत रिहा नहीं किया गया, तो चुनाव से पहले विपक्ष के नेताओं को झूठे आरोपों में गिरफ्तार करना सत्ताधारी पार्टियों के लिए एक मिसाल बन जाएगा। केजरीवाल की ओर से एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को कहा यह याचिका दिल्ली के मुख्यमंत्री के संबंध में है और अर्जेंट है। गिरफ्तारी का आधार ऐसे दस्तावेज थे, जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, हमें ई मेल कर दीजिए, फिर हम देखेंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते दिन कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय ने हमारे सामने पर्याप्त सबूत पेश किए। हमने बयानों को देखा, जो बताते हैं कि गोवा के चुनाव के लिए पैसा भेजा गया था। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि हमें संवैधानिक नैतिकता की फिक्र है, ना कि राजनीतिक नैतिकता की। मौजूदा केस केंद्र और केजरीवाल के बीच नहीं है। यह केस केजरीवाल और प्रवर्तन निदेशालय के बीच है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किया। उसके पास हवाला ऑपरेटर्स और AAP कैंडिडेट के बयान हैं।