नागपुर न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र में गुटखा और तंबाकू से बने खाद्य उत्पादों की बिक्री पर साल 2012 से बैन है, लेकिन हकीकत इससे अलग है। विधायक प्रवीण दटके ने विधानसभा में बताया कि इन प्रतिबंधित उत्पादों की बिक्री आज भी धड़ल्ले से हो रही है — यहां तक कि कुछ लोग इन्हें ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जैसे स्विगी के जरिए भी मंगवा रहे हैं। नागपुर समेत कई शहरों में पान की दुकानों पर खुलेआम गुटखा और खर्रा बिक रहा है।
दटके ने सदन में यह भी कहा कि इस बैन का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा और कानून सिर्फ कागजों तक सीमित है। उन्होंने पुलिस और एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) को मिलकर एक संयुक्त अभियान चलाने की अपील की, ताकि इन प्रतिबंधित उत्पादों की तस्करी और बिक्री पर लगाम लगाई जा सके। उन्होंने बताया कि गुटखा की खेप महाराष्ट्र में पड़ोसी राज्यों से तस्करी कर लाई जाती है।
एक बड़ा खुलासा करते हुए दटके ने बताया कि जब पुलिस छापेमारी कर गुटखा बरामद करती है, तो एफडीए की लैब उसमें से सैंपल जांचने से मना कर देती है। इससे पुलिस के पास पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत नहीं होते और वे मामला दर्ज नहीं कर पाते। इस वजह से कई आरोपी बिना सजा के छूट जाते हैं और अवैध व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है।
दटके ने एफडीए और अन्य संबंधित विभागों पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि कुछ अधिकारी इन धंधेबाजों को संरक्षण दे रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि राज्य में गुटखे पर लगे प्रतिबंध को पूरी सख्ती से लागू किया जाए और दोषियों को बिना देरी के कानूनी सजा दी जाए, ताकि जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वालों पर लगाम लगाई जा सके।