नागपुर न्यूज डेस्क: नागपुर की 43 वर्षीय महिला सुनीता ने 14 मई को कारगिल के हुंदरमान गांव से एलओसी पारकर पाकिस्तान में प्रवेश किया था। वह करीब 10 दिनों तक पाकिस्तानी सीमा में रही, जिसके बाद 24 मई को पाकिस्तान प्रशासन ने उसे अटारी बॉर्डर पर भारत को सौंप दिया। शुरुआती जांच में पता चला है कि सुनीता का पाकिस्तान के दो लोगों से लंबे समय से सोशल मीडिया पर संपर्क था—एक का नाम जुल्फिकार बताया जा रहा है, जबकि दूसरा एक पादरी था।
यह पहली बार नहीं था जब सुनीता ने पाकिस्तान में दाखिल होने की कोशिश की हो। अप्रैल में वह दो बार अटारी बॉर्डर पार करने की कोशिश कर चुकी थी, लेकिन BSF ने उसे पकड़ लिया था। इसके बावजूद 9 मई को वह अपने 14 साल के बेटे के साथ कारगिल पहुंची। बेटे को स्थानीय होटल में छोड़कर सुनीता अकेले हुंदरमान के रास्ते LOC पार कर पाकिस्तान चली गई।
सुनीता के बेटे को होटल में अकेला छोड़ दिया गया था, जिसे लेकर स्थानीय प्रशासन ने गुमशुदगी दर्ज की और बाल कल्याण समिति को सूचित किया। कारगिल CWC अध्यक्ष नियाज अली के अनुसार, बच्चा सुरक्षित है और उसे नागपुर भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बच्चा कक्षा 8 में पढ़ता है और अब अधिकारियों की देखरेख में है।
इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या सुनीता किसी कट्टरपंथी संपर्क में थी या मामला धर्मांतरण या मानव तस्करी से जुड़ा है? फिलहाल नागपुर और अमृतसर पुलिस, IB और अन्य एजेंसियां इस मामले की संयुक्त जांच कर रही हैं। नागपुर पुलिस की टीम अमृतसर पहुंच चुकी है, जहां सुनीता से पूछताछ की जाएगी। उस पर अवैध रूप से सीमा पार करने, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने और नाबालिग को संकट में डालने जैसी धाराएं लग सकती हैं।