नागपुर न्यूज डेस्क: यदि कोई व्यक्ति कानूनी उत्तराधिकारी नहीं है, तो उसे मृत व्यक्ति की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) केवल संपत्ति या बैंक खाते के प्रबंधन का अधिकारी होता है, लेकिन वह कानूनी रूप से उसका उत्तराधिकारी नहीं बन सकता। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फलके ने यह स्पष्ट किया कि संपत्ति के वास्तविक लाभार्थी मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी होते हैं, और इसे उनके बीच समान रूप से वितरित किया जाना चाहिए।
नागपुर निवासी स्वर्गीय गोपालकृष्ण शिवहरे के चार संतानें—लक्ष्मीकांत, श्रीराम, शैल और संतोष थीं। शैल नागपुर महानगर पालिका के ग्रंथालय विभाग में कार्यरत थीं और सेवानिवृत्ति के बाद 6 मई 2013 को उनका निधन हो गया। उन्होंने अपने बैंक खातों में लक्ष्मीकांत के बेटे अभिषेक को नॉमिनी के रूप में नामित किया था। उनकी मृत्यु के बाद, अभिषेक ने बैंक से 90,150 रुपये निकाल लिए और बाकी राशि भी निकालने का प्रयास किया। इस पर श्रीराम और संतोष ने आपत्ति जताई और मामला अदालत तक पहुंच गया।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि नॉमिनी को केवल बैंक खाताधारक के अधिकार प्राप्त होते हैं, जिससे वह बैंक से राशि निकाल सकता है, लेकिन वह उसका कानूनी मालिक नहीं बनता। उत्तराधिकार के अधिकार के अनुसार, वह राशि कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच वितरित की जानी चाहिए। अदालत ने अभिषेक की कार्रवाई को अवैध करार दिया और आदेश दिया कि शैल के बैंक खाते की शेष राशि लक्ष्मीकांत, श्रीराम और संतोष के बीच समान रूप से वितरित की जाए।
इससे पहले, याचिकाकर्ताओं ने उच्च सिविल न्यायालय में आवेदन दिया था, जहां तीनों उत्तराधिकारियों को केवल 60,993 रुपये देने का आदेश हुआ था। इस फैसले से असंतुष्ट होकर श्रीराम और संतोष ने जिला अदालत में अपील दायर की, जिसके बाद मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा और न्यायालय ने संपत्ति के समान वितरण का निर्णय दिया।